Summer Season Essay in Hindi | गर्मी का मौसम पर निबंध

Summer Season Essay in Hindi:आज का हमारा विषय गर्मियों के बारे में हिंदी निबंध लेखन है। गर्मी का नाम सुनते ही कुछ के पसीने छूट गए होंगे, तो चलिए शुरू करते हैं अपना निबंध।

Summer Season Essay in Hindi (गर्मी का मौसम पर निबंध)

ग्रीष्म की मौसम का अर्थ है दहकता हुआ सूरज, आग के गोले बरसाते सूरज की गर्मी की पराकाष्ठा, मानो किसी भट्टी से आग के अंगारे निकल रहे हों। ऐसी अग्नि के ताप के कारण ग्रीष्म की दोपहर में मानव जीवन अत्यंत शांत हो जाता है। शहरों और गांवों में सड़कें सूनी हो जाती हैं, ट्रैफिक ठप हो जाता है. ऐसा लगता है कि शहरों में बिना वाहनों की सड़कें चौड़ी हो गई हैं।

आकाश बहुत साफ और बादलों से भरा होता है, कभी-कभी आकाश में समदी या बाज़ देखा जा सकता है। इसके अलावा आसमान में सिर्फ खालीपन ही नजर आ रहा होता है। तो निरंजन भगत ने एक गीत में ग्रीष्म की प्रचंडता का वर्णन करते हुए लिखा है, “सूरज चमक रहा है, सड़क चारों ओर जल रही है!”

बसंत सबका पसंदीदा मौसम है जबकि गर्मी सबका नापसन्द मौसम है। ऐसे चिलचिलाती गर्मी के दिन किसे पसंद हैं! इसलिए गुजराती कवि उमाशंकर जोशी ने ऐसे प्रचंड ग्रीष्म के सूर्य के प्रकट होने का वर्णन करते हुए लिखा है,

आव्यो आव्यो बलबल थातो, देख जोगी उनालो
वा वैशाखी प्रबल वहेता, उदति अगर जालो।”

तपती गर्मी की दुपहर में कर्फ्यू (सज्जाद) की स्थिति होती है, मानो इस सृष्टि के रचयिता ने ताला लगा दिया हो। ऐसा लगता है जैसे भगवान भी प्रकृति की सुंदरता से ईर्ष्या करते हैं जो बसंत के वैभव से खिल गई है। दोपहर की गर्मी से झड़ते वृक्षों के पत्ते और फूल मानो ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हों, हे पिता, अब कृपा करो। संपूर्ण प्रकृति और पारिस्थितिकी तंत्र पर असहनीय उथल-पुथल की लहर दौड़ जाती है। बैसाखी पवन के कारण कुछ लोगो को लू भी लगा जाती है या कुछ लोग बीमार भी पड़ जाते हैं

बैसाख में पृथ्वी भौगोलिक दृष्टि से सूर्य के सबसे निकट होने के कारण सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं जिससे गर्मी सबसे अधिक महसूस होती है। इतनी भीषण गर्मी में कोई भी इंसान या पशु पक्षी बाहर निकलने का नाम नहीं लेता। जानवर पेड़ों की छाया में और पक्षी पेड़ों की छाँव में बसेरा करते हैं और बेसब्री से शाम ढलने का इंतज़ार करते हैं।

राहगीर भी पेड़ की छांव में आराम करते हैं। कभी न थकने वाला विश्व का किसान, ऐसी गर्मी की दुपहरी में नीम के घने वृक्ष की शीतल छांव में कुछ देर विश्राम करता है। गर्मी का साम्राज्य पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को कवर करता है। ऐसा लगता है कि प्रकृति ने तंग आकर इस संपूर्ण सृष्टि के वैभव को जलाने का निश्चय कर लिया है।

गर्मी से बचने के लिए पशु-पक्षियों के पास पेड़-पौधों की छांव के अलावा और कोई उपाय नहीं है, लेकिन दुनिया का सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य गर्मी से बचने का कोई न कोई उपाय खोज ही लेता है। गांव का मेहनतकश आदमी और किसान गर्मी से बचने के लिए पेड़ों से बने आशियाने पर पानी के छींटे मार कर ठंडी हवा पाने की कोशिश करते हैं. तो शहर का अमीर वर्ग पंखे या एयर कंडीशनर की ठंडी हवा में आराम करता है। बच्चे भी घर में बैठकर इंडोर गेम खेलते हैं.शायद इसी सिर फोड़ने वाली गर्मी की वजह से ही गुजराती कवि लाभशंकर ठाकरे ने कहा था, ”सूरज को सजा दो.”

लेकिन जो लोग मौसम के महत्व को समझते हैं और उसकी सराहना करते हैं वे गर्मियों का भी आनंद लेते हैं। गर्मी में राहत पाने के लिए प्रकृति ने पृथ्वी पर सबसे अच्छी जगह बनाई है, अगर आप आबू, सापुतारा, माथेरान, पंचमढ़ी, महाबलेश्वर, नैनीताल, दार्जिलिंग, शिमला, मनाली आदि जगहों पर जाएं तो आप गर्मियों में भी गर्मी का अनुभव नहीं कर पाएंगे।

गर्मी के मौसम में बर्फ के गोले और आइसक्रीम खाने का मजा ही कुछ और होता है. इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक्स, गन्ना और आम का मीठा रस पीने का मजा सिर्फ गर्मियों में ही लिया जा सकता है!वाटर पार्क में नहाने का मजा सिर्फ गर्मियों में ही लिया जा सकता है, सर्दियों में आप ठंड में ठिठुरते पानी के सामने जाना भी नहीं चाहेंगे, और नहाने के लिए भी दस बार सोचना पड़ता है। गरमालो, गुलामहोर, कसूडो आदि पुष्प केवल ग्रीष्म ऋतु में ही खिलते हैं।आम, चीकू, जम्बू जैसे खट्टे-मीठे फल गर्मी में ही मिलते हैं। यह सब पढ़ ने के बाद तो शायद गर्मी की ऋतु आपको अच्छी लगने लगी होगी।

अमीर लोग भले ही गर्मी का आनंद ले रहे हों, लेकिन गरीब और मजदूर वर्ग गर्मी की दोपहरी की चिलचिलाती धूप में आराम करने के बजाय अपना काम धंधा करते दिखाई देते हैं। लारीवाला, गल्लावाला, फेरिया जैसे लोग पेट भरने के लिए धूप में सेंकते नजर आते हैं। ये लोग गर्मी में आराम करने का जोखिम नहीं उठा सकते क्योंकि उनका शाम का भोजन उनकी दैनिक कमाई से आता है ।

Summer Season Essay in Hindi
Summer Season Essay in Hindi

ऐसा लगता है कि किसी कवि या लेखक के पास इस मजदूर वर्ग की दयनीय स्थिति का वर्णन करने का समय नहीं है। लेकिन प्रकृति प्रेमी कवि आर.वी. पाठक ने अपने काव्य में वैशाख के दोपहर का सटीक वर्णन किया है। कवि उमाशंकर जोशी ने ग्रीष्मकाल को “धुआं लिए बैठे अघोरी” कहा है। काका कालेलकर ने यहां तक ​​कहा है कि “आकाश गर्मियों में वैसे ही खड़ा रहता है जैसे भैंस दूध देते समय आंखें बंद करके खड़ी रहती है।”

भले ही गर्मी की दोपहर किसी को पसंद न हो, लेकिन पूरे दिन की गर्मी के बाद ग्रीष्म की शाम खूबसूरत होती है।अनेक कवियों ने इसके सौन्दर्य का वर्णन किया है। शाम ढलते ही समुद्र तट, बगीचों और नदी तटों पर लोगों की भीड़ देखी जाती है। गर्मी की तपती दोपहर भले ही आम आदमी के लिए सूखेपन और अवसाद की निशानी हो, लेकिन हमारे प्रकृति प्रेमी कवि काका साहेब कालेलकर इसमें कविता, रुचि और सौंदर्य देखते हैं. इसलिए किसी कवि ने बहुत अच्छा कहा है–

“इस चिलचिलाती गर्मी की दोपहर में मुझे स्वीकार है,
जो तू दे एक भीगे हुए मानसून की शाम मुजे… ”

मनुष्य जीवन के लिए सभी ऋतुएँ उपयोगी हैं। यह गर्मी जितनी गर्म है उतनी ही शांत भी है। गर्मी की गुलाबी शाम और रातें ठंडी होती हैं। गर्मियों की दोपहर की चिलचिलाती गर्मी के कारण नदियों और समुद्रों में पानी वाष्पित हो जाता है, जिससे मानसून की बारिश होती है। हर मौसम का एक अलग प्राकृतिक महत्व और रंग- रूप होता है। ऐसे बहुत कम देश हैं जहां तीनों ऋतुओं का अनुभव होता है। इसमें हमारा भारत भी शामिल है। इसलिए विदेशी लोग भी भारत के मशहूर हॉट स्पॉट्स में गर्मी का लुत्फ उठाने आते हैं।

मुझे उम्मीद है कि आपको हमारा Summer Season Essay in Hindi (गर्मी का मौसम पर निबंध) लेख बहुत पसंद आएगा । ऐसे बहुत से हिंदी निबंध हमने अपने ब्लॉग पर पोस्ट किए हैं, इसे पढ़ना ना भूलें। यदि आपको वास्तव में यह लेख उपयोगी लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करना न भूलें। आपके कमेंट, लाइक और शेयर हमें नई जानकारी लिखने के लिए प्रेरित करते हैं।

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